Tiger and monkey story in Hindi

 Tiger and monkey - एक जंगल में, शेर और बंदर रहते थे। दोनों में अच्छी मित्रता थी। दोनों खाते-पीते और खेलते।

बंदर ऊंचे-ऊंचे पेड़ो से फल तोड़ कर शेर को खिलता और शेर, बंदर का दूसरे हिंसक पशुओं से रक्षा करता।

Tiger and monkey story in Hindi

Tiger and monkey story in Hindi

एक दिन, शेर एक शेरनी से मिला। शेर, शेरनी को देख बहुत मोहित हो गया। शेर, शेरनी के जाल में फस गया।

बंदर को इस बात कि खबर लगी। बंदर बड़ा होसियार था।

वो समझ गया कि शेरनी इसे फसा के कुछ अपना काम निकालेगी।

उसने शेर से बात किया।

और कहा - शेर भाई तुम आज कल दिन भर गायब रहते हो। और आते हो तो खोये-खोये रहते हो, कुछ बात है क्या?

शेर - नहीं, कुछ नहीं।

बंदर - तुम्हारी तबियत ठीक है न।

शेर - हां हां बिलकुल।

बंदर - तुम्हे कोई परेशानी हो तो कभी भी किसी समय मुझसे कह सकते हो।

शेर इस बात का कोई जवाब नहीं दिया।

बंदर वहां से चला गया और सोचने लगा कि इसे उस शेरनी के चंगुल से बाहर निकालना पड़ेगा, लेकिन कैसे ? ये बंदर के सामने बहुत बड़ा प्रश्न था।

बंदर शेर के ऊपर निगरानी रखने लगा।

शेर हर दिन उस शेरनी से मिलने जाता और शेरनी के चिकनी चुपड़ी बातों में आ जाता।

ऐसा ही कुछ समय तक चलता रहा। एक दिन शेरनी ने शेर कहा - इस पेड़ पे कितने मीठे फल है क्या तुम ला सकते हो।

शेर - हां हां क्यों नहीं।

इतना कह के शेर पेड़ पे चढ़ने लगा। लेकिन चढ़ नहीं पाया। शेरनी बोली - तुम मेरी इतनी सी ख्वाइश पूरी नहीं कर सकते।

शेर - जरूर कर सकता हूँ।

Tiger and monkey story in Hindi

शेर बिचारा निराश होके वापस आ गया। ये सब बंदर पेड़ पे छुप के देख रहा था।

बंदर समझ गया था कि शेरनी बस अपना काम निकालना चाहती है।

लेकिन बंदर शेर को सीधे-सीधे कहे कैसे, क्योंकि शेर को, बंदर के बात पे विश्वाश कैसे हो?

अगले दिन फिर शेर गया, उस दिन शेरनी बहुत देर से आई। शेर को लगा शेरनी मुझसे रूठी है।

उसने तय किया कि आज शेरनी जो कहे वो मैं अपने जान पे खेल के भी पूरा करुँगा।

शेरनी आते ही, खाई के नजदीक एक पेड़ पे बहुत सुन्दर फूल थे, उसे देखते ही शेरनी ने कहा - कितने अच्छे फूल है।

शेर - तुम्हे चाहिए।

शेरनी - मेरे चाहने से क्या होता है? तुम से थोड़े हो पाएंगे।

शेर ने उस फूल को लाने का तय कर लिया। उसने दूर से दौड़ के पेड़ पे छलाँग लगाया और वह खाई के तरफ किसी डाली में जा फसा।

शेर और बंदर

अब तो शेर मुशीबत में फस गया। शेरनी ये सब देख के वहा से भाग गई। बंदर ये सब तो देख ही रहा था, वह तुरंत उसे बचाने जा पंहुचा और उसे किसी भी तरह बचा लिया।

निचे आते ही शेर ने बंदर से कहा - तुम्हे कैसे पता चला कि मैं मुशीबत हूँ?

बंदर - जिस दिन से तुम दिन भर गायब और खोये-खोये रहने लगे उसी दिन से मैं समझ गया था कि कुछ तो बात है और तुम्हारा हर दिन पीछा करता था।

शेर - तुम्हे जब सारी बात पता चल गया था तो पहले क्यों नहीं बताया।

बंदर - अगर मैं पहले कह देता तो सायद मेरी बात नहीं मानते, अगर मान भी लेते तो तुम्हे अंदर ऐसा रहता कि वो अच्छी थी।

तुम पुरे-पुरे समझ नहीं पाते, लेकिन अब तुम्हे पूरा अनुभव हो चूका है कि वो मुझे बस फसा रही है।

शेर - बहुत-बहुत शुक्रिया तुमने मुझे बचाया।

इसलिए किसी के भूल तुरंत बताने से अच्छा है कि उसे अनुभव लेने दे। अगर भूल बहुत बड़ी हो तभी डांटे वर्ना समझाने का प्रयास करे।।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ